बरेली महिला स्वयं सहायता समूह अपनी मेहनत से कामयाबी की इबारतें लिख रहे हैं। हालांकि ये इतना आसान नहीं लेकिन लगन हो तो मुश्किल भी नहीं। भोजीपुरा के नारी शक्ति स्वयं सहायता समूह ने तालाबों में उगी जलकुंभी को अपनी सफलता का माध्यम बनाया। इस समूह को शुरू हुए केवल 4 माह हुए हैं लेकिन अब तक कई बड़े आर्डर इस समूह की झोली में आ गए हैं।
भोजीपुरा के भैरपुरा खजुरिया गांव के नारी शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं लम्बे समय से निराशा का मुंह देख रही थीं। आखिरकार वे अपनी समस्या लेकर ब्लाक मिशन मैनेजर पूनम के पास पहुंची। उन्होंने जलकुंभी से हस्तशिल्प का काम करने वाली वंदना से मिलवाया। वंदना ने जलकुंभी से हस्तशिल्प बनाने के बारे में बताया।
समूह की अध्यक्ष फरजाना खान कहती हैं गांव में अधिकांश लोग कारचोबी से जुड़े हैं, इसलिए महिलाएं इस नए काम को अपनाने से डर रही थीं। कई महिलाओं का मानना था कि काम नहीं चलेगा तो हम खाली हो जाएंगे। सबसे बड़ी बाधा महिलाओं को समूह से जोड़कर रखने की थी जिससे ट्रेनिंग सही तरह से हो सके। इसके बाद विधिवत प्रशिक्षण लिया।
एक लाख रुपये तक के आए हैं ऑर्डर: उन्होंने बताया कि चार माह हुए हैं। 12 समूह यानि 120 महिलाएं अब काम कर रही हैं। इस समय समूह के पास एक लाख तक के आर्डर आ रहे हैं। इस काम में करीब बीस हजार रुपये लागत लगी थी। अब समूह से जुड़ी हर महिला की आमदनी करीब दस हजार रुपये तक हो जाती है।
हालांकि आमदनी आर्डर पर निर्भर करती है। जलकुंभी को तालाब से निकलवाकर सुखाने के बाद इससे योगा मैट, पर्स, टी कोस्टल, बास्केट, नैपकिन विंग, बैंगल बॉक्स आदि सामान बनाए जाते हैं। समूह की महिलाओं की सराहना डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या व डीएम भी कर चुके हैं। ऑनलाइन और इंटिरियर डिजाइन के मार्केट में जलकुम्भी से बने सामान की काफी डिमांड है।
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