अयोध्या में रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन
बरेली के अलखनाथ मंदिर परिसर में रामेश्वरम से लाए गए दुर्लभ पत्थर की भी पूजा की जाएगी। मंदिर परिसर में ही अलग से स्थान बनाकर पत्थर को पानी में डाला गया है। पानी में तैरते इस काले रंग के पत्थर की आकृति अन्य पत्थरों से अलग है।
पत्थर को भगवान राम के प्रति आस्था का प्रतीक माना जाता है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु पत्थर के दर्शन जरूर करते हैं और अपने बच्चों को इससे जुड़ा इतिहास भी बताते हैं। हालांकि, पानी में तैरने वाले इस दुर्लभ पत्थर के रहस्य से काफी लोग अब भी अनजान हैं।
मंदिर से जुड़े पवन गिरि ने बताया कि 40 साल पहले दो पत्थर लाए गए थे। साल 2021 में एक पत्थर के चोरी हो जाने के बाद आम लोगों को इसे छूने की अनुमति नहीं है। वर्तमान में मंदिर परिसर में एक ही पत्थर मौजूद है। सुरक्षा के लिहाज से उसे ताले में रखा गया है। सफाई के लिए भी परिसर को खोला और बंद किया जाता है।
अन्य लोग दूर से ही पत्थर के दर्शन कर सकते हैं।
क्या है विज्ञान का तर्क
बरेली कॉलेज के भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. वीपी सिंह ने बताया कि यह पत्थर आर्कमिडीज के सिद्धांत के मुताबिक पानी में इसलिए तैरता है, क्योंकि यह अपने भार से अधिक पानी को विस्थापित करता है।
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