वो दुनिया की पहली ऐसी तीरंदाज़ बनीं जिनके चारों अंग नहीं हैं — और फिर भी उन्होंने इस बेहद ही कठिन मुकाम को छू लिया।
5 साल की उम्र में 11,000 वोल्ट की तार से झुलसी पायल को समाज ने ठुकराया, ताने मारे, यहां तक कि कुछ लोगों ने कहा — "इसे ज़िंदा क्यों रखा है?"
फिर एक दिन पायल की मुँह से बनाई गई पेंटिंग की वीडियो वायरल हुई। वहीं से बदली उनकी कहानी।
उन पर कोच कुलदीप वेदवान की नजर पड़ी — और उन्हें जम्मू की माता वैष्णो देवी शाइन आर्चरी अकैडमी में ट्रेनिंग दी गई।
आज, उसी पायल ने अपनी आदर्श शीलता देवी को हराकर राष्ट्रीय चैंपियन का खिताब जीत लिया।
अब उनका सपना देश के लिए गोल्ड जीतना है।
पायल की कहानी बताती है —
कभी-कभी जीत सिर्फ शरीर से नहीं,बल्कि हमारे जज़्बे से होती है।
पायल के हौसले और जज़्बे को सलाम है।
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