हरिद्वार।
रिपोर्ट नीरज सिंह
राष्ट्र को धारण करने तथा विनाश का नाश करने वाला ही क्षत्रिय कहलाता है। हिन्दुस्तान की वैदिक एवं सनातनी परम्पराओं मे क्ष़ित्रयों का योगदान किसी भी मानक पर मूल्यांकित नही किया जा सकता है। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, उत्तराखंड के तत्वावधान मे राजपूत धर्मशाला परिसर स्थित महाराणा प्रताप सभागार के मुख्य हॉल मे हनुमान जयन्ती के पावन अवसर तथा राणा सग्रांम सिंह की जन्मजयन्ती पर विचार-मंथन एवं पुष्पान्जलि कार्यक्रम के पर क्षत्रिय समाज ने अपने श्रद्वासुमन अर्पित किये। कार्यक्रम का संयोजक युवा मोहित चौहान द्वारा किया गया। जिसमे क्षत्रिय समाज के विद्वानों एवं शिक्षाविद्वों के राणा सग्राम सिंह (राणा सांगा) के जीवन का वंश परम्पराओं पर विचार रखे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रोहिताश्व कुवंर, पूर्व जिला संघचालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने अपने ओजस्वी विचार तथा वीररस से सराबोर काव्य पाठ से उपस्थित लोगों को रोमाचिंत किया। उन्होने कहॉ कि वर्तमान समय की परिस्थितियों का मुख्य कारण अपनी गौरवमयी पुरातन परम्पराओं से लम्बे समय तक दूरी बनाये रखना है। उन्होने कहॉ कि क्षत्रियों ने सदैव देश हित तथा समाज के सभी वर्गो के सम्मान एवं हितों की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया। यदि क्षत्रिय न होते तो देश मुगल शासकों की गुलामी से मुक्त नही हो सकता था। उन्होने भारत मॉ के सम्मान मे क्षत्रिय के समर्पण को सदैव याद रखने के लिए युवाओं का आहवान किया। कहॉ कि देश मिटटी तथा ईटों से नही बनता, बेटों के बलिदान से ही मॉ का सिर ऊंचा होता है। उन्होने राणा सांगा की 7 पीढियों के परिचय से जनसमुदाय को अवगत कराया। गुरुकुल कांगडी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्रो0 भारत भूषण विद्यालंकार ने अपने सम्बोधन मे कहा कि स्वर्ग प्राप्ति के दो ही पात्र हो सकते है- दानवीर तथा क्षत्रिय। दानवीर जहां दान के माध्यम से दूसरो के कष्ट तथ पीढा को दूर करता है, वही क्षत्रिय अपने वीर पराक्रम से बुराई का शमन करके शारीरिक एवं मानसिक उन्नति से पूरे समाज को निर्भीक तथा सम्मान प्रदान कराता है। उन्होने कहॉ कि उपनिषद के रचनाकार क्षत्रिय ही रहे है जिन्होने समाज तथा देश के लिए आदर्श स्थापित किये है, इसलिए पुरातन से आधुनिक तक आदर्श वही है जो राष्ट्र को समर्पित है। किसान मोर्चा के योगेश चौहान ने कहा कि चौहान वंश की परम्पराओं का सम्बंध राजस्थान तथा दिल्ली से रहॉ है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के प्रान्तीय अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह राणा ने करते हुये अपने सम्बोधन मे कहॉ कि देश की संसद जैसी शीर्ष संवैधानिक संस्था मे एक सदस्य द्वारा महाराणा सांगा के चरित्र तथा सम्मान को धूमिल करने का कुकृत्य किया गया है, जिसके कारण क्षत्रिय समाज की भावनाओं को गहरी चोट लगी है। सही जानकारी होते हुए भी देश के महापुरूषों के विरूद्व इस प्रकार की शब्दावली का प्रयोग किया जाना घोर निन्दनीय है। जिसके लिए सम्पूर्ण क्षत्रिय समाज तथा उससे जुडे संगठन निन्दा प्रस्ताव पारित करते है तथा संसद के दोनो सदनों के प्रमुखों से रामजीलाल सुमन की सदस्यता को निरस्त करे तथा सामुहिक रूप से सांसद को माफी मांगने के लिए दबाव बनाये ताकि देश मे सामाजिक माहौल सौहार्द्र पूर्ण बनाये रखा जा सके। वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेमसिंह राणा, महेन्द्र सिंह नेगी, महामंत्री डॉ0 शिवकुमार चौहान, जिलाध्यक्ष शेखर राणा, महामंत्री सुशील पुंडीर, कोषाध्यक्ष सुमित चौहान नेत्रपाल सिंह, अर्जुन चौहान, जिला पंचायत सदस्य चमन चौहान, मोनू चौहान, प्रदीप चौहान, पवन कुमार चौहान, पार्षद नागेन्द्र सिंह राणा, सचिन चौहान, मदनपाल सिंह, डॉ0 बिजेन्द्र सिंह चौहान, रविकिशोर चौहान, उपदेश चौहान, सौरभ चौहान चन्द्रशेखर राणा, अभिमन्यु चौहान, शंशांक चौहान, रक्षित चौहान, दुष्यन्त सिंह राणा, अनिरूद्व सिंह भाटी, विपिन चौहान, विनीत चौहान, प्रेमराज सिंह, स्वामी ओमदास, प्रियान्शु चौहान, नीरज चौहान, ठाकुर विपिन चौहान, सूर्य प्रताप राणा, अनुज चौहान, मनोज चौहान, आकाश चौहान, सतवीर सिंह राधव आदि विशाल संख्या मे क्षत्रिय बन्धु एवं युवा उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अन्त मे सामूहिक हनुमान चालीसा का पाठ करके राष्ट्र गौरव वीर महापुरूष राणा संग्राम सिंह (राणा सांगा) को पुष्पांजलि अर्पित की गई। उपस्थित जनसमूह ने शपथ लेकर अपने महापुरूषों के सम्मान की रक्षा करते हुये देश के स्वाभिमान एवं गौरव की रक्षा करने का प्रण लिया।
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